सत्तराम पंथ के संस्थापक
जगदीश दाश जी लाल संत पारखी गुरु, सत्तराम बाबा
प्राकट्य स्थल त्रिलोका हाता
(सत्तराम पुर) पोस्ट लकड़ी दरगाह, वाया मीरगंज जिला सिवान, बिहार (भारत)
भादो कृष्ण पंचमी संवत
1969
1 सितम्बर 1912
समाधि स्थल - सत्तराम पुर महैचा वाया मीरगंज जिला गोपालगंज बिहार
(भारत)
05/05/1988
कार्य क्षेत्र - सम्पूर्ण विश्व
सत्त राम पंथ के : -
संस्थापक- जगदीश दास जी सत्त गुरु या पारखी गुरु, लाल संत मत (गुप्तमत)
गुरु- पारखी
पुरुष- सत्तपुरुष, सत्तराम जी, पार ब्रम्ह
लोक- सत्त लोक
चाल- सत्तो गुणी
मार्ग- प्रवृति
ज्ञेय- पारब्रम्ह
ध्येय- सत्त लोक प्राप्ति( सदा-सर्वदा के लिए मुक्ति)
साधक- जीव
साधन- सुरत
साध्य- सत्त राम नाम
सिद्धी- सत्त लोक प्राप्ति
आशय- सत्त गुरु या पारखी गुरु से उपदेश लेकर गुरु के आदेशानुसार, अज्ञान, ज्ञान, विज्ञान से उपर उठकर न्यान यानि लोकमत,
बेदमत, संतमत से उपर उठकर गुप्त मत के अनुसार एक पार ब्रम्ह से ही सकल सुख की चाहना करना । पतिवर्त धर्म के ऐसा ।
शब्द कसौटी- सत, सत्य, सत्, सत्त
बुझ- मै कौन हूँ, कहां से आया हूँ, क्यों आया हूँ, कहां जाना है, अब क्या करू, शरण केही जाउ, ज्ञान ध्यान मत नाना है।
सत्तराम पंथ के मुख्य उद्देश्य
समाज में धार्मिक समानता और मानव एकता का
प्रचार
अंधविश्वास, पाखंड और जातिवाद का विरोध
विजति, परजाति से ऊपर उठकर स्वजाति के भाव से जीवन व्यतीत करना
सत्तसंग, साधना, और शब्द सूरत योग द्वार आत्मिक उन्नति
गरीबों, जरूरतमंदों और वंचितों की सेवा और उन्नति